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पंचायत तक पहुंचेगी इलाज की सुविधा, डिजिटल सिस्टम से मजबूत हो रही बिहार की दवा व्यवस्था

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पटना: बिहार सरकार का स्वास्थ्य विभाग राज्य के सुदूर और अंतिम छोर पर बसे लोगों तक मुफ्त इलाज और दवाएं पहुंचाने के लक्ष्य के साथ स्वास्थ्य व्यवस्था को नए सिरे से सशक्त बना रहा है। इसके तहत पारंपरिक स्वास्थ्य उपकेंद्रों को चरणबद्ध तरीके से हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में बदला जा रहा है और उन्हें अत्याधुनिक ड्रग एंड वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट सिस्टम (DV-DMS) से जोड़ा गया है।
राज्यभर में अब तक 13,856 स्वास्थ्य संस्थान इस डिजिटल नेटवर्क से जुड़ चुके हैं। इनमें स्वास्थ्य उपकेंद्र, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। इस व्यवस्था के जरिए दवाओं की मांग, आपूर्ति और उपलब्धता पर रियल टाइम नजर रखी जा रही है, जिससे दवा की कमी जैसी समस्याओं पर समय रहते काबू पाया जा सके।
स्वास्थ्य विभाग की रणनीति है कि आम बीमारियों के इलाज के लिए लोगों को अब प्रखंड या जिला अस्पतालों की दौड़ न लगानी पड़े। बीपी, शुगर सहित गैर-संचारी रोगों की जांच और इलाज अब पंचायत स्तर पर ही संभव हो रहा है। मरीजों को एक बार में 30 दिनों की दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे समय और खर्च दोनों की बचत हो रही है और बड़े अस्पतालों पर भी बोझ घट रहा है।
डीवी-डीएमएस से जुड़ने के बाद हर स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों पर दवाओं की संख्या भी निर्धारित कर दी गई है। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर लगभग 100 प्रकार, स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर 25 प्रकार और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 120 से 130 प्रकार की दवाएं उपलब्ध रखने के निर्देश दिए गए हैं। इससे इलाज की निरंतरता बनी रहेगी और मरीजों को निजी मेडिकल दुकानों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
मुफ्त दवा वितरण के क्षेत्र में बिहार लगातार देश के अग्रणी राज्यों में बना हुआ है। नवंबर माह में भी राज्य ने इस श्रेणी में शीर्ष स्थान प्राप्त करते हुए 81 प्रतिशत से अधिक स्कोर दर्ज किया है, जिसे सरकार अपनी योजनाओं की जमीनी सफलता मान रही है।
दवाओं की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्य में 170 औषधि वाहन लगातार सक्रिय हैं। जिला से प्रखंड और प्रखंड से पंचायत तक दवाएं पहुंचाने के लिए दो-स्तरीय सप्लाई सिस्टम लागू किया गया है, जिससे दूर-दराज के स्वास्थ्य केंद्रों तक भी दवाएं समय पर पहुंच रही हैं।
डिजिटल निगरानी, पंचायत स्तर पर इलाज और मजबूत आपूर्ति व्यवस्था के सहारे बिहार स्वास्थ्य सेवाओं को नई दिशा देने की कोशिश कर रहा है। यदि यह व्यवस्था इसी तरह प्रभावी बनी रही, तो राज्य के हाशिये पर बसे लोगों के लिए बेहतर इलाज सिर्फ एक वादा नहीं, बल्कि रोजमर्रा की सच्चाई बन जाएगा।

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